कोई पहचान बाकी है न अब चेहरा बचा है
हमारे पास खोने के लिए अब क्या बचा है
ये हंगामा है या रिश्ते मिटा देने की जिद है
हमारे दिल की गहरे में क्या कांटा बचा है
कभी थे लोग जो एहसास सबसे बाँटते थे
कोई भी शख्श अपने दौर में खुद सा बचा है
अगरचे ख़त्म है रिश्ता कभी ऐसे भी आओ
अभी सुनने सुनाने को बहुत किस्सा बचा है
वज़ह है आज भी थोड़ी किसी से दुश्मनी की
अभी भी प्यार करने का मौका बचा है
तुझे जो घर ने ठुकराया है तो बाहर चला आ
हवा में, चाँद तारों में तेरा हिस्सा बचा है
किसे फुर्सत है रुक कर पूछ लेगा हाल तेरा
कोई हो वक़्त सबके पास बस थोडा बचा है
जो शाम आई है अब लौटेंगे यादों के परिंदे
मेरे पहलू में लम्बा सा मेरा साया बचा है
ज़रा फर्क पड़ता है सभी की ज़िन्दगी में
अगर आँखों में कोई एक सपना बचा है
'मैं मरने जा रहा हूं, फैमिली से कहना...', बोंडी बीच पर आतंकियों से गन छीनने
वाले हीरो अहमद की कहानी
-
सिडनी में फल बेचने वाले अहमद अल अहमद की दुकान रविवार को बंद थी, वे शाम को
अपने कजिन के साथ घूमने के लिए बॉन्डी बीच की ओर निकल गए. अहमद कॉफी की
चुस्कियां ले...
1 घंटे पहले
1 टिप्पणी:
subhanallah......
एक टिप्पणी भेजें