अपने दिल से निबाह कर आये
सबसे रिश्ता तबाह कर आये
चाँद से कब कहा मिलो हमको
चाह करना था चाह कर आये
दर्द शायर ने सुनाया था अभी
लोग भी वाह वाह कर आये
छत कभी दे न सके थे जिनको
हम हथेली की छांह कर आये
ऐसा ज़ज्बात ने भटकाया हमें
अपना चेहरा सिआह कर आये
सोच कर कुछ नहीं हुआ हमसे
जो किया ख्वामख्वाह कर आये
रोज कुछ कम हुई लबों पे हंसी
लोग कैसा गुनाह कर आये
फ़ितरतन दिल फ़कीर होता है
ये जिसे बादशाह कर आये
ईरान के राष्ट्रपति का हेलिकॉप्टर अजरबैजान में हादसे का शिकार, तुर्की ने
भेजी रेस्क्यू टीम
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ईरान के राष्ट्रपति इब्राहिम रईसी को लेकर जा रहा हेलिकॉप्टर रविवार को
अजरबैजान में हादसे का शिकार हो गया है. इस 'हार्ड लैंडिंग' के बाद रेस्क्यू
टीम को घटनास...
2 घंटे पहले
1 टिप्पणी:
भाव और कथ्य दोनों ही स्तर पर बेहतरीन गजल...आकर्षक प्रस्तुति हेतु बधाई।
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