कोई पहचान बाकी है न अब चेहरा बचा है 
हमारे पास खोने के लिए अब क्या बचा है 
ये हंगामा है या रिश्ते मिटा देने की जिद है 
हमारे दिल की गहरे में क्या कांटा बचा है 
कभी थे लोग जो एहसास सबसे बाँटते थे 
कोई भी शख्श अपने दौर में खुद सा बचा है 
अगरचे ख़त्म है रिश्ता कभी ऐसे भी आओ 
अभी सुनने सुनाने को बहुत किस्सा बचा है 
वज़ह है आज भी थोड़ी किसी से दुश्मनी की 
अभी भी प्यार करने का मौका बचा है 
तुझे जो घर ने ठुकराया है तो बाहर चला आ 
हवा में, चाँद तारों में तेरा हिस्सा बचा है 
किसे फुर्सत है रुक कर पूछ लेगा हाल तेरा 
कोई हो वक़्त सबके पास बस थोडा बचा है 
जो शाम आई है अब लौटेंगे यादों के परिंदे 
मेरे पहलू में लम्बा सा मेरा साया बचा है 
ज़रा फर्क पड़ता है सभी की ज़िन्दगी में 
अगर आँखों में कोई एक सपना बचा है
प्रदूषण से गैस चैंबर बने दिल्ली-NCR में अब वायरस भी फैला, 75% घरों में कोई 
न कोई बीमार
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दिल्ली NCR की हवा इन दिनों जहर बन चुकी है. ऊपर से वायरल बीमारियों ने हालात 
और बिगाड़ दिए हैं. एक ताजा सर्वे के मुताबिक हर चार में से तीन घरों में कोई 
न कोई...
4 घंटे पहले
 
